शनिवार, 13 जून 2009
शतं जीवेत्
आयुर्वेद ज्ञान को सब में बांटे ! आयुर्वेद जीने की कला का नाम है जो जितना अच्छे से जिया उतना ही बडा आयुर्वेदज्ञ हुआ। ह्रास प्रकृति का नियत स्वभाव है, और शरीर व्याधि मंन्दिर इसका बचना मुश्किल है लेकिन बत्तीस दांतो के बीच में जीभ अपनी चतुराई दिखाती है और सदैव सुरक्षित , है ना जीने की कला? हमारा उद्देश्य तभी पूरा होगा जब आप और हम अपने ज्ञान को नि:शंकोच परस्पर बांटे! यह बांटने से बढता है , परिणामस्वरुप शतायु होंगें, स्वस्थ रहेंगें।
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